मन की बात 107 वी कड़ी में पीएम मोदी ने कही थी ये बात…
संविधान के 44 वें संशोधन के माध्यम से, Emergency के दौरान की गई गलतियों को सुधारा गया था।
क्या होती है आपातकाल (Emergency)?
आपातकाल के दौरान, केंद्र सरकार देश या प्रभावित राज्य के शासन पर अधिक नियंत्रण रखती है। इस दौरान कुछ मौलिक अधिकारों का हनन होता है, जिसमें सरकार के पास भाषण, सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कम करने का अधिकार है। इसके अतिरिक्त, कार्यपालिका को कानून और व्यवस्था लागू करने की अधिक शक्ति प्राप्त हो जाती है।
आपातकाल कितने प्रकार की होती है?
भारतीय संविधान में आपात उपबंधों को तीन भागों में बाँटा गया है-
- राष्ट्रीय आपात (अनुच्छेद-352)
- राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता/राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद-356) और
- वित्तीय आपात (अनुच्छेद-360)
राष्ट्रीय आपात (अनुच्छेद-352):-
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद – 352 के अनुसार युद्ध, बाह्य आक्रमण एवं आंतरिक उपद्रव की स्थिति में राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपात की उदघोषणा कर सकता है |
- परंतु ऐसी भी उद्घोषणा अनुच्छेद – 352(3) के अनुसार राष्ट्रपति तभी कर सकता है जब प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिमंडल राष्ट्रपति से लिखित रूप में संतुति करें |
- राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 352 का प्रयोग करने के लिए आवश्यक नहीं है कि युद्ध बाहर आक्रमण आंतरिक उपद्रव हो ही गया हो बल्कि ऐसी आशंका पर भी राष्ट्रीय आपात उद्घोषित कर सकता है |
- 44 वें संशोधन के अनुसार अनुच्छेद 352 का प्रयोग न्यायिक पुनर्विलोकन के अधीन है |
- अनुच्छेद 352 की उद्घोषणा के एक माह के भीतर संसद के दोनों सदनों द्वारा इसके समर्थन में संकल्प प्रस्ताव अगर पारित नहीं होता तो राष्ट्रीय आपात की उदघोषणा स्वत: समाप्त हो जाती है |
- संसद द्वारा अनुमोदित होने के पश्चात राष्ट्रीय आपात की उदघोषणा 6 महीने तक वैध रहती है |
- इस उद्घोषणा के अधीन संघ को असाधारण कार्यपालिका तथा विधायी शक्तियां प्राप्त रहती हैं प्रांतों की सरकारें संघ सरकार के निर्देशानुसार चलती हैं |
- राष्ट्रीय आपात के प्रवर्तन अवधि में अनुच्छेद 353 (क) के तहत संघीय कार्यपालिका प्रांतों को किसी भी विषय पर निर्देश दे सकती है जबकि साधारण परिस्थितियों में ऐसा वह सिर्फ अनुच्छेद 256 एवं 257 में विनिर्दिष्ट विषय में ही कर सकती है |
- राष्ट्रीय आपात के दौरान संसद विधि द्वारा लोकसभा की अवधि में 1 वर्ष की वृद्धि कर सकती है जबकि अनुच्छेद 83 (2) के तहत साधारण परिस्थितियों में 6 महीने के लिए किया जा सकता है |
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संपूर्ण देश या देश के किसी हिस्से में किया जा सकता है अभी तक तीन बार 1962 (चीनी आक्रमण के समय) 1971 (पाकिस्तानी आक्रमण के समय) एवं 1975 (आंतरिक अशांति के नाम पर) राष्ट्रीय आपात लागू हो चुकी हैं |
राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता/राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद-356):-
- किसी प्रांत में संवैधानिक तंत्र की विफलता की स्थिति में अनुच्छेद 356 के अधीन राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है |
- इसकी उद्घोषणा राज्यपाल एवं केंद्रीय मंत्रिमंडल की संस्तुतियों के आधार पर होती है |
- इस उद्घोषणा के प्रवर्तन काल में राज्य की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति के हाथों में एवं विधायक का शक्ति संसद के हाथों में होती है जब के प्रांतीय न्यायपालिका पूर्व की भांति ही कार्यरत करती है |
- सांविधानिक तंत्र की विफलता के कारण घोषित राष्ट्रपति शासन की अधिकतम अवधि 3 वर्षों की होती है परंतु 6 महीने पर संसद द्वारा अनुमोदन प्रस्ताव पारित करते रहना आवश्यक है |
- अभी तक 110 से अधिक बार यह उद्घोषणा हो चुकी है |
- 7 जुलाई 1951 को पंजाब में पहली बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया।
वित्तीय आपात (अनुच्छेद-360):-
- जब देश के वित्तीय साख पर खतरा उत्पन्न हो जाता है तो राष्ट्रपति अनुच्छेद 360के तहत इस की उद्घोषणा करके सारी वित्तीय शक्तियां के हाथ में ले लेता है|
44वाँ संशोधन संविधान में क्या परिवर्तन लाया गया?
44वें संशोधन ने संविधान के प्रावधानों में कुछ बदलाव किये। वे नीचे बिंदुओं में दिए गए हैं:
- संविधान की मूल संरचना में कोई भी बदलाव केवल तभी किया जा सकता है जब उन्हें भारत के लोगों द्वारा जनमत संग्रह में बहुमत से अनुमोदित किया जाता है जिसमें कम से कम इक्यावन प्रतिशत मतदाताओं ने भाग लिया था। इसे सुनिश्चित करने के लिए अनुच्छेद 368 में संशोधन किया जा रहा है।
- 1978 के 44वें संशोधन अधिनियम ने 42वें संशोधन अधिनियम द्वारा किए गए प्रावधान को उलट दिया, जिसने सरकार को अनुच्छेद 368 द्वारा अपनी इच्छानुसार संविधान में संशोधन करने की अनुमति दी थी। 44वें संशोधन अधिनियम ने सरकार की इस अनुचित शक्ति को समाप्त कर दिया।
- संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों (अनुच्छेद 31) की सूची से हटा दिया गया और इसे अनुच्छेद 300ए के तहत कानूनी अधिकार बना दिया गया।
- आपातकाल की उद्घोषणा केवल तभी जारी की जा सकती है जब भारत या उसके क्षेत्र के किसी हिस्से की सुरक्षा को युद्ध या बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह से खतरा हो। सशस्त्र विद्रोह की श्रेणी में न आने वाली आंतरिक अशांति उद्घोषणा जारी करने का आधार नहीं होगी।
- आपातकाल की घोषणा केवल मंत्रिमंडल द्वारा राष्ट्रपति को दी गई लिखित सलाह के आधार पर ही की जा सकती है ।
- स्वतंत्रता के अधिकार को इस प्रावधान से और भी मजबूती मिलती है कि निवारक हिरासत के लिए कानून, किसी भी मामले में, तीन महीने से अधिक समय तक हिरासत में रखने की अनुमति नहीं दे सकता है, जब तक कि एक सलाहकार बोर्ड ने रिपोर्ट नहीं की हो कि इस तरह की हिरासत के लिए पर्याप्त कारण है।
- संसद और राज्य विधानमंडलों की कार्यवाही को स्वतंत्र रूप से और बिना सेंसरशिप के रिपोर्ट करने का मीडिया का अधिकार।